Friday, August 17, 2007

ऐपवा महिला अदालत

ऐपवा महिला अदालत आठ अगस्त २००७ को जंतर मंतर पर आयोजित किया गया। दस राज्यों से करीब एक हज़ार महिलाएं पहुंचीं। अदालत तीन सत्रों मे चलाई गयी। पहले सत्र में महिलाओं पर बढती हिंसा पर चर्चा हुई। न्यायाधीशों के रुप में उमा चक्रवर्ती, शाइस्ता अम्बर, सरवत खान, अज़रा रज्जाक, बेला भाटिया, वृंदा ग्रोवर थीं। इस सत्र में असम से प्रतिमा इन्घिपी,राजस्थान से भंवरी बाई, पंजाब से सविता रानी, उत्तर प्रदेश से शोभा सिंह व ताहिरा हसन, गुजरात से शिल्पा मित्तल, बिहार से सोहिला गुप्ता और निठारी से कुसुम अग्रवाल आदि ने अपनी बात रखी। दूसरे सत्र में महिलाओं के आर्थिक उत्पीड़न और बेरोजगारी तथा महिला स्कीमों में भ्रष्टाचार पर चर्चा हुई. न्यायाधीश के रुप में थीं अपर्णा भरद्वाज, अनुराधा चेनौय , सविता सिंह और तनिका सरकार। इस में असम से अंजली उपाध्याय,बिहार से मालती राम, राजस्थान से तेजकी बाई , उत्तर प्रदेश से फराज़ाना, दिल्ली सी जी एच एस की राजवान्ती, झारखंड से गुन्नी ओरांव और सिंगूर व नंदिग्राम पर खुद तनिका सरकार ने बात रखी. अन्तिम सत्र में न्यायाधीश थीं लता जिष्णु, त्रिप्ता वाही , मेरी जॉन आदि। इस सत्र में बात रखीं अंजली, राजस्थान से तरुना, और उत्तर प्रदेश से सरोजिनी ने पंचायती राज में महिलाओं का अनुभव और ३३% आरक्षण कि माँग पर । अंत में न्यायाधीशों ने राज्यों में और केंद्र मे चल रही सरकारों को दोषी पाया और उन्हें बदलने कि बात पर जोर दिया। उनहोंने कहा कि महिलाएं खुद लड़कर अपने हक हासिल करें और सरकार पर निर्भरता चोद दें क्योंकि ये औरतों का भला नहीं कर सकतीं । महिला अदालत का संचालन अध्यक्ष श्रीलता स्वामीनाथन और कुमुदिनी पति, महासचिव ने किया। झारखंड कि प्रेरणा तें ने गीत पेश किये .

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