Saturday, November 24, 2007

तसलीमा नसरीन को भारतीय नागरिक का दर्जा मिलना चाहिऐ

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन का मानना है कि प्रखर लेखिका, तसलीमा नसरीन को जिस तरह से पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रदेश से बाहर भेज दिया, वह साफ तौर पर कट्टरपंथियों के दबाव के आगे घुटने टेकने वाली बात है। सी पी एम् सचिव बिमान बोस ने जो बयां दिया था वह बहुत अप्पतिजनक था। आख़िर तसलीमा यदि 'वाम'-शाशित राज्य पश्चिम बंगाल मी नहीं रह सकतीं तो और कहाँ सुरक्षित होंगी? यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उन्हें भाजपा शाशित राजस्थान के शरण मी भेजा गया। ऐप्वा ने तसलीमा कि पूर्ण सुरक्षा कि माँग करते हुए उन्हें भारत कि नागरिकता देने कि माँग कि और कहा कि कोलकता मी ही उन्हें रहने कि आज़ादी मिलनी चाहिऐ। ऐप्वा का कहना है कि केन्द्र सरकार को नेत्रित्वा देने वाली पार्टी ने जिस तरह से सांप्रदायिक माहौल बनने कि कोशिश कि और फिर कहा कि तसलीमा कि वजह से कानून व्यवस्था कि समस्या हो रही है इसलिए उन्हें देश छोड़ने के बारे मी सोचना चाहिऐ। इसकी एकदम इजाजत नहीं दी जा सकती और यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा खतरा होगा। ऐप्वा का मानना है कि संघ परिवार को इस तरह मौका दिया जा रह है कि वह तसलीमा की झूटी वकालत करे जबकि लज्जा कि लेखिका हर किस्म के कट्टरपंथ का विरोध एक नारीवादी नजरिये से करती हैं। ऐप्वा की अपील है कि इस संकट कि घरी मी सभी प्रगतिशील व नारी-पक्षधर शक्तियों को उनके साथ कड़े होना चाहिऐ ताकि लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके.

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